Sunday, February 6, 2011

तीसरे मोर्चे की आवश्यकता

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी का तटस्थ आकलन करने वाले पहले भी यह मानते रहे हैं और अब बाकी लोगों को भी यह बात समझ में आ रही होगी कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में सिवाय इस बात के कोई फर्क नहीं है कि दोनों तकनीकी तौर पर अलग पार्टियां हैं। नीतियों और कामकाज में कोई फर्क नहीं है।
ऐसे में तीसरे मोर्चे की आवश्यकता बहुत ज्यादा महसूस की जाने लगी है। जैसे-जैसे यूपीए में कांग्रेस का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है, वह एकल दल की सरकार के तौर पर व्यवहार करने लगी है। मीडिया में एक तरह से आपातकाल के दौर की याद दिला दी है। कोई भी मीडिया संगठन सोनिया और राहुल के खिलाफ कुछ भी लिखने को तैयार नहीं है। न जाने क्यों, सब ये मानकर बैठे हैं कि इनसे बैर लिया तो खैर नहीं। जो नेता इनके खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत चिल्ला-चिल्लाकर दे रहे हैं, उनको मीडिया में कोई जगह ही नहीं मिल रही। न किसी अखबार में उनके बयान छपते हैं और न ही किसी टीवी चैनल में उन्हें जगह मिलती है।
बात कांग्रेस के विकल्प की करें तो दुख यही है कि भारतीय जनता पार्टी का ही नाम सामने रखा जाता है। आज भी गैर कांग्रेसी और गैर-भाजपाई दलों का गठबंधन बन जाए तो दोनों पार्टियां पानी मांगती फिरेंगी।
महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दोनों पार्टियां बुरी तरह से नाकाम रही हैं (उनके स्वयं के हितों के हिसाब से बात करें तो बेहद कामयाब रही हैं क्योंकि दोनों ही भ्रष्टाचार करने में कामयाब रही हैं और दोनों ही पूंजीपतियों के हितों वाली नीतियां बनाकर महंगाई बढ़ाने में कामयाब रही हैं।)।
स्थिरता के सवाल पर तीसरे मोर्चे के दलों की आलोचना की जाती है लेकिन क्या यह सही नहीं है कि इन दलों के गठबंधनों को कभी पूरा बहुमत मिला ही नहीं। हर बार कांग्रेस का सहारा लेना पड़ा है और कांग्रेस उन सरकारों को भला क्यों ठीक से चलने देना चाहेगी। जनता पार्टी के दौर में भी जनसंघ का घटक उस दल में मौजूद था। वीपी सिंह की सरकार बीजेपी के समर्थन वापस लेने से गिरी और चंद्रशेखर की सरकार कांग्रेस के समर्थन वापस लेने से गिरी। अगर वामपंथी दल कांग्रेस की या यूपीए-1 की सरकार गिराएं तो वह राष्ट्रविरोधी कदम लेकिन कांग्रेस और बीजेपी इनकी सरकारें गिराएं तो कहा जाए कि ये लोग सरकार नहीं चला पाते।
बुद्धिजीवी वर्ग से अपेक्षा है कि इस मामले पर जातीय हितों से ऊपर उठकर सोचें और अपनी राय दें। असहमति का भी स्वागत है।

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