Tuesday, August 23, 2011

किसका लोकपाल और किसका आंदोलन !

पूरे देश में जन लोकपाल के आंदोलन की बयार है, ऐसा बताया जा रहा है. टीवी चैनलों पर जो दिख रहा है, वही समूचा देश है और अन्ना हजारे के ब्रांड के नाम पर पूरे देश ने अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण को नायक मान लिया है. ऐसे माहौल में यह समझ लेना और याद रखना जरूरी है कि वास्तव में यह आंदोलन किसका है और किसके लिए है.
बिना चुनाव लड़े, न्यायपालिका, संसद और सारी कार्यपालिका को नियंत्रित करने वाली संस्था लोकपाल की जनता से कोई जवाबदेही नहीं होगी. न तो जनता उसे चुनेगी और न ही उसे हटा सकेगी. मेरे ख्याल से तो दो तरह के लोकपाल विधेयक के प्रारूप हैं- सरकारी लोकपाल जो सांसदों (और प्रधानमंत्री) को बचाना चाहता है और दूसरा एनजीओ लोकपाल, जो एनजीओ (सरकार से हर वर्ष लंबी-चौड़ी राशि लेने वाले) को बचाना चाहता है. ध्यान रहे अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और आज के दौर के अन्य तथाकथित नए रहनुमा सब एनजीओ चलाने में ही लगे हैं. एनजीओ भ्रष्टाचार के अड्डे रहे हैं, इसमें अरविंद केजरीवाल को छोड़कर किसी को भी संदेह नहीं होगा.
पूर्व कानून मंत्री शांतिभूषण तो यहाँ तक कह गए हैं कि पार्टियां अपने सांसदों को व्हिप जारी करके इस जनलोकपाल(पढ़े एनजीओ लोकपाल) के पक्ष में वोट डलवाएं..क्यों भई, सीधे कहो..कि आपका ड्राफ्ट सीधे ही राष्ट्रपति के पास पहुंचा दिया जाए..लोकसभा और राज्यसभा की जरूरत नहीं..या फिर राष्ट्रपति के पास भी क्यों भेजें...सिर्फ यह कह देना कि इसे शांतिभूषण जी ने बनाया है, इसलिए इसे सीधे ही लागू कर दो.
न्यायपालिका से भी बड़ी मशीनरी चाहिए इनके एनजीओ लोकपाल के लिए और ताकतवर तो इतना होगा कि जब कोई अंग्रेजीदां इस पर बैठ जाएगा तो वह सारे मानवाधिकारों को कुचलकर रख देगा.
एक और खास बात..ये सारे लोग जो एनजीओ लोकपाल के पक्ष में हैं..ये सब पूरी तरह से आरक्षण विरोधी हैं...एससी-एसटी और ओबीसी से इन्हें इतनी नफरत है कि इनके आंदोलन का इतना प्रसार होने के बाद भी कोई भी इन वर्गों से इनके इर्द-गिर्द नहीं फटक पा रहा है. योग्यता तो सिर्फ इनके ही अंदर है.
आंदोलन तो पहले भी हुए हैं लेकिन आपातकाल और बोफोर्स के समय ये तथाकथित ईमानदार लोग ध्यान नहीं दे पाए और बड़े स्तर पर पिछड़े वर्ग के नेता आगे आ गए थे. इस बार ये सतर्क हैं..किसी भी तरह से सत्ता या नेतृत्व तथाकथित सवर्णों के हाथों से न निकल जाए.
अगर इनका यह आंदोलन कामयाब हो गया तो याद रखना इनका अगला निशाना नौकरियों में एससी-एसटी और ओबीसी का आरक्षण हो सकता है...